वक्फ संशोधन विधेयक: लोकसभा में पारित, विपक्ष का तीखा विरोध

वक्फ संशोधन विधेयक पारित

नई दिल्ली:
गुरुवार को लोकसभा में 12 घंटे की लंबी बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आधी रात तक तीखी बहस चली, लेकिन अंततः सरकार के बहुमत के चलते यह विधेयक 288-232 मतों से पारित हो गया। अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

विधेयक में विवादास्पद प्रावधान

इस विधेयक के तहत 1995 के वक्फ कानून में संशोधन किया जाएगा। इसमें कुछ विवादास्पद प्रावधान शामिल हैं, जिनमें—
वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति
कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्ति ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकेंगे
यदि कोई सरकारी भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित होती है, तो वह सरकार की नहीं रहेगी, बल्कि कलेक्टर इसकी स्वामित्व स्थिति तय करेंगे

विपक्ष का विरोध और तर्क (वक्फ संशोधन विधेयक )

विपक्ष ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करार दिया। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की सिफारिशों को नजरअंदाज कर पारित कराया है।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि “यह विधेयक अल्पसंख्यकों को बदनाम और वंचित करने की साजिश है”। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसका विरोध करते हुए इसे गांधीजी के ब्रिटिश कानून को फाड़ने की घटना से जोड़ा और प्रतीकात्मक रूप से इस विधेयक को फाड़ने की घोषणा की।

सरकार की दलील

सरकार का कहना है कि यह विधेयक संपत्ति के प्रबंधन से संबंधित है, न कि धर्म से। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने तर्क दिया कि कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति के कारण कई सरकारी और गैर-सरकारी संपत्तियां वक्फ के अधीन चली गईं। उन्होंने यह भी कहा कि इस संशोधित कानून के जरिए वक्फ संपत्तियों में होने वाली अनियमितताओं को रोका जाएगा और महिलाओं व बच्चों को अधिक लाभ मिलेगा।

वक्फ संशोधन विधेयक पर अमित शाह के तर्क:

  • दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में कई सरकारी संपत्तियां वक्फ को दी गईं
  • तमिलनाडु में 400 साल पुराने मंदिर की संपत्ति वक्फ घोषित कर दी गई
  • प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया गया

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि 1970 से दिल्ली में चल रहे एक मामले में कई अहम सरकारी संपत्तियां वक्फ के तहत आ गईं, जिनमें पुरानी संसद भी शामिल थी

संशोधित विधेयक के प्रमुख बिंदु

गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव
सिर्फ पांच साल से इस्लाम मानने वाले ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकेंगे
विधेयक के अनुसार, सरकारी संपत्ति का वक्फ के रूप में दावा करने पर अंतिम निर्णय वरिष्ठ सरकारी अधिकारी लेंगे
महिलाओं को वक्फ घोषणा से पहले उनकी संपत्ति में उत्तराधिकार सुनिश्चित करने का प्रावधान

विरोध जारी रहेगा?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस विधेयक को कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मोहम्मद मोहसिन ने कहा कि “हम इस विधेयक के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे, अगर जरूरत पड़ी तो हम सड़कों पर उतरेंगे और शांतिपूर्ण विरोध करेंगे।”

अब देखना यह होगा कि राज्यसभा में इस विधेयक पर क्या रुख अपनाया जाता है और यह संशोधन कानून का रूप लेता है या नहीं।

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