चक्रव्यूह में अभिमन्यु : आप केवल इतना जानते हैं, कि चक्रव्यूह में अभिमन्यु (Abhimanyu) मार गया था

अभिमन्यु ……..केवल इतना जानते हैं कि चक्रव्यूह में अभिमन्यु की मौत हुई थी या फिर कौरव सेना ने उसे घेर कर मार दिया था…? रुकिए फिर आप…श्रीकृष्ण जिनके गुरु थे और जो स्वयं केशव ही के भांजे भी थे…? उनके वीरता के बारे में आपको केवल आधा ही पता था तब ..? कुछ तथ्यों से आप वंचित है! क्योंकि उस लड़ाई में अभिमन्यु ने जिन वीरपुत्र योद्धाओं को मारकर वीरगति प्राप्त की थी उनको जन कर अप दांग रह जायेगे…?

अभिमन्यु ने जिन वीरपुत्र योद्धाओं को मारकर वीरगति प्राप्त की उनको जान लें...

  • दुर्योधन का पुत्र, लक्ष्मण
  • अश्वकेतु का पुत्र
  • शल्य का छोटा भाई
  • शल्य के पुत्र, रुक्मरथ
  • दृघलोचन (Drighalochana)
  • कुंडवेधी (Kundavedhi)
  • सुषेण (Sushena)
  • वसत्य (Vasatiya)
  • क्रथा और कई अन्य योद्धा…

चक्रव्यूह के प्रत्येक द्वार – पहले से लेकर सातवें पर योद्धाओं को देखें –

  1. अश्वथामा
  2. दुर्योधन
  3. द्रोणाचार्य
  4. कर्ण
  5. कृपाचार्य
  6. दुशासन
  7. शाल्व (दुशासन के पुत्र)

अभिमन्यु के प्रवेश के बाद ही जयद्रथ ने पहले प्रवेशद्वार पर पांडवों के प्रवेश को रोक दिया था… थोड़ा रुकिए… चक्रव्यूह कुरुक्षेत्र के सबसे खतरनाक युद्ध तंत्र था… चक्रव्यूह को भेदना असंभव था.

चक्रव्यूह को भेदना द्वापर युग में केवल 7 लोग ही जानते थे……..

  • कृष्ण
  • अर्जुन
  • भीष्म
  • द्रोणाचार्य
  • कर्ण
  • अश्वत्थामा
  • प्रद्युम्न

नोट:- अभिमन्यु केवल उसमें प्रवेश करना जानता था।

Abhimanyu

चक्रव्यूह को “घूर्णन मृत्यु चक्र” भी कहा जाता था

यह पृथ्वी की तरह घूमता था, साथ ही हर परत के चारों ओर घूमता था। इस कारण से, निकास द्वार हर समय एक अलग दिशा में मुड़ता था, जो दुश्मन को भ्रमित करता था। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संगीत या शंख ध्वनि के अनुसार, चक्रव्यूह के सैनिक अपनी स्थिति बदल सकते थे। कोई भी कमांडर या सिपाही स्वेच्छा में अपनी स्थिति नहीं बदल सकता था… द्रोण रचित चक्रव्यूह एक घूमते हुए चक्र कुंडली की तरह था, अगर कोई योद्धा इस व्यूह के खुले हुए हिस्से में घुसता था तो मारे गए सैनिक की जगह तुरंत ही दूसरा अधिक शक्तिशाली सैनिक आ जाता था, सैनिकों की पंक्ति लगातार घूमती रहती थी और बाहरी सभी चक्र शक्तिशाली होते रहते थे…

इसलिए चक्रव्यूह में प्रवेश आसान था पर बाहर निकलने के लिए योद्धा को व्यूह की किसी भी समय तात्कालिक स्थिति की जानकारी होना आवश्यक था और इसके लिए व्यूह के हर चक्र के एक योद्धा की स्थिति उसे याद रखनी पड़ती थी। माना जाता है कि चक्रव्यूह के गठन दुश्मन को मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना तोड़ देता था कि दुश्मन के हजारों सैनिक एक पल में मर जाते थे।

अभिमन्यु के कितने पुत्र थे

अभिमन्यु के एक ही पुत्र थे, जिनका नाम था परीक्षित।

अभिमन्यु किसका अवतार था

अभिमन्यु को चंद्रदेव का अवतार माना जाता था। इसका कारण यह है कि एक बार स्वर्गलोक में सभी देवों को अपने पुत्रों को धरती पर भेजने के लिए आदेश दिया गया था, और चंद्रदेव के पुत्रों में भी उन्हें धरती पर भेजने का आदेश था।

अभिमन्यु किसका पुत्र था

महाभारत के महान योद्धा अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे। उन्हें चक्रव्यूह के विधान को भेदने के लिए अत्यंत कुशल और प्रवीण माना जाता है।

अभिमन्यु की कितनी पत्नी है?

 दो पत्नियां थी: 1. उत्तरा 2. वत्सला


अभिमन्यु अपने अगले जन्म में कौन था?

अभिमन्यु के बारे में एक कथा है जिसके अनुसार वह पूर्वजन्म में भगवान श्रीकृष्ण का शत्रु कालयवन था। कालयवन की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को भगवान श्रीकृष्ण ने बंदी बनाकर अपने साथ ले आए और उसे एक डब्बे में बंदकर करके रख दिया।


कृष्ण ने 5 गांव क्यों मांगे?

कृष्ण ने उस समय पांच गांव मांगे थे। वह समझौते के लिए गए थे।

कृष्ण ने 5 गांव कौन कौन मांगे थे?

कृष्ण ने समय के एक संदर्भ में पांच गांवों की मांग की थी। इन पांच गांवों के नाम थे गोकुल, मथुरा, वृंदावन, द्वारिका, और वाराणसी।

कृष्ण कितने वर्ष जीवित रहे?

कृष्ण के जीवनकाल के बारे में विभिन्न प्रमाणों और शास्त्रों में भिन्न-भिन्न विचार हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार, कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था। विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में उनके जन्म की तारीख अलग-अलग दी गई है। कुछ संगणकीय अध्ययनों के अनुसार, वे लगभग 3228 ईसा पूर्व से 3102 ईसा पूर्व तक जीवित रहे हो सकते हैं। इससे पहले उनके जीवनकाल को संक्षेप में लगभग 125 वर्ष माना जाता है। यह विशेषतः भगवद्‌गीता और महाभारत काल के संदर्भ में प्रसिद्ध है।

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