जगन्नाथ रथ यात्रा: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है?

जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के ओडिशा राज्य के पुरी में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। इस उत्सव को “रथ यात्रा” के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के सम्मान में मनाया जाता है।

रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है, जो सामान्यत: जून या जुलाई के महीने में पड़ती है। इस दिन तीन विशाल रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को बैठाकर यात्रा निकाली जाती है। यह रथ यात्रा मुख्यतः जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

क्या है जगन्नाथ यात्रा **

जगन्नाथ रथ यात्रा , जिसे रथ यात्रा के नाम से भी जाना जाता है, ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के सम्मान में मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण वार्षिक पर्व है । इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को विशाल रथों पर बिठाकर यात्रा निकाली जाती है ।

** क्यों मनाई जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा **

जगन्नाथ यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करना है । यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसे मनाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं और कथाएं जुड़ी हुई हैं । यह माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ इस यात्रा के माध्यम से अपनी मौसी के घर जाते हैं और भक्तों को दर्शन देकर उनका उद्धार करते हैं ।

** कैसे मनाई जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा **

1. ** रथ निर्माण ** यात्रा से पहले तीन विशाल रथों का निर्माण किया जाता है । ये रथ अलग- अलग रंग और आकार के होते हैं ।

2. ** मूर्तियों की स्थापना ** भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर से बाहर लाया जाता है और रथों पर स्थापित किया जाता है । .

3.** यात्रा की शुरुआत ** आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यात्रा की शुरुआत होती है । रथों को खींचने के लिए हजारों भक्त एकत्र होते हैं ।

4. ** गुंडिचा मंदिर ** रथ यात्रा मुख्यतः जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । .

5** वापसी यात्रा ** नौ दिन बाद, भगवान जगन्नाथ और उनके भाई- बहन वापस अपने मूल मंदिर लौट आते हैं, जिसे’ बहुड़ा यात्रा’ कहा जाता है ।

** जगन्नाथ रथ यात्रा के तथ्य **

1. ** तीन रथ ** भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष, बलभद्र का रथ तलध्वज और सुभद्रा का रथ देवदलन कहलाता है । .

2.** लकड़ी का उपयोग ** रथों का निर्माण विशेष प्रकार की लकड़ी से किया जाता है और हर साल नए रथ बनाए जाते हैं ।

3. ** अन्य यात्रा ** पुरी के अलावा, भारत के अन्य हिस्सों में भी जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, जैसे गुजरात के अहमदाबाद में । .

4.** विशाल जनसमूह ** इस यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और इसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक उत्सवों में से एक माना जाता है ।

5. ** रथ खींचने की परंपरा ** रथ खींचने का कार्य भगवान के भक्तों द्वारा किया जाता है, और इसे एक पवित्र और पुण्य कर्म माना जाता है । .

** विश्वव्यापी आयोजन **

जगन्नाथ यात्रा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मनाई जाती है, खासकर उन देशों में जहाँ भारतीय समुदाय बड़ी संख्या में निवास करता है । जगन्नाथ यात्रा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक जीवंत प्रतीक भी है ।

रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है, जो सामान्यत जून या जुलाई के महीने में पड़ती है । इस दिन तीन विशाल रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को बैठाकर यात्रा निकाली जाती है ।

यह रथ यात्रा मुख्यतः जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । इस यात्रा का आयोजन बड़े धूमधाम और भव्यता के साथ किया जाता है । लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं और भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं ।

यह मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने से और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए लाखों लोग उमड़ पड़ते हैं । रथों को खींचने का कार्य भगवान के भक्तों द्वारा किया जाता है और इसे एक पवित्र और पुण्य कर्म माना जाता है । यह यात्रा लगभग नौ दिन चलती है, जिसमें भगवान गुंडिचा मंदिर में कुछ दिनों के लिए विश्राम करते हैं और फिर वापस जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं ।

जगन्नाथ यात्रा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है । यह यात्रा लोगों को एक साथ आने और अपने विश्वास और आस्था को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है ।

इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन होता है । इस प्रकार, जगन्नाथ यात्रा एक महान धार्मिक पर्व है जो भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा, भक्ति और आस्था का प्रतीक है । यह पर्व न केवल ओडिशा राज्य में बल्कि पूरे भारत में और विदेशों में भी श्रद्धालुओं द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है ।

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